आज के इस लेख में हम महात्मा गांधी पर निबंध (Essay On Mahatma Gandhi In Hindi) लिखेंगे। महात्मा गांधी जी का यह निबंध class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।
महात्मा गांधी पर लिखा हुआ यह निबंध आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।
महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay In Hindi)
प्रस्तावना
हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के बारे में कौन नहीं जानता, उनकी छाप सिर्फ हमारे नोटों पर ही नहीं बल्कि हम सभी के दिलों में भी है। जब भी आजादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों का नाम आता है तो सबसे पहले उनका ही नाम लिया जाता है।
क्योंकि इस साबरमती के संत ने बिना खड़ग और ढाल के याने बिना लड़ाई झगड़े (हिंसा) के भारत देश को स्वतंत्र करवाया। महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा के प्रवर्तक थे। सारे भारतीय उन्हें बापू और राष्ट्रपिता कहकर पुकारते हैं।
महात्मा गांधी जी के जन्मदिवस यानी गांधी जयंती को अहिंसा दिवस के रूप में भी पूरे भारत में मनाया जाता है। उन्होंने कई प्रकार के आंदोलन किए और पूरा जीवन संघर्ष किया, जिसके परिणमस्वरूप हमें अंग्रेजो की हुकूमत से स्वतंत्रता मिली।
उन्होंने मानवता की सेवा का संदेश दिया और कहा “खुद को खोजने का सबसे अच्छा तरीका है, खुद को दूसरों की सेवा में खो दो” आज हम आपको उनके पूरे जीवन, उनके विचार और उनके आंदोलनों के बारे में बताएंगे।
महात्मा गांधी जी स्वतंत्रता के योद्धा थे और उनके अथक प्रयासों, संघर्ष और बलिदान की वजह से ही आज हम स्वतंत्र भारत में जी रहे हैं। महात्मा गांधी एक महान राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक भी थे।
उन्होंने आजादी के लिए शांति का मार्ग चुना और अपना पूरा जीवन आजादी और मानवता की सेवा में लगा दिया। उन्होंने कई स्वतंत्रता आंदोलन किए जिसने अंग्रेज़ी हुकूमत की ईंट से ईंट बजा दी।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अपने अच्छे कामों और अपने आदर्श विचारों के कारण हमेशा याद किये जाते है और वे हमारे दिलों में राज करते हैं।
महात्मा गांधी जी का जीवन परिचय
महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर शहर में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। वे साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे, उनके पिताजी का नाम करमचंद गांधी था और वे अंग्रेजो के लिए दीवान का कार्य करते थे।
महात्मा गांधी जी के माता का नाम पुतलीबाई था और वे भले स्वभाव की एक धार्मिक महिला थीं। गांधी जी जब 13 वर्ष के थे तभी उनका विवाह करवा दिया गया था। उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था, जिन्हें सभी प्यार से “बा” कहकर पुकारते थे।
महात्मा गांधी की प्रारंभिक पढ़ाई गुजरात में ही हुई थी और बाद में उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेज दिया गया। महात्मा गांधी 18 वर्ष की उम्र में ही लन्दन के कॉलेज में कानून की पढाई करने के लिए गए और फिर वकालत की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए।
गांधी जी ने सन् 1891 में वकालत पास की और वे फिर से भारत वापस आ गए। इसके बाद उन्होंने मुंबई में रहकर वकालत का काम शुरू कर दिया। उनके जीवन में समय के साथ कई बदलाव आए जिनसे वे प्रभावित हुए और उन्होंने अपना जीवन मानव सेवा में समर्पित कर दिया।
गांधी जी के जीवन में परिवर्तन की शुरुआत
गांधी जी के जीवन में कई ऐसी घटनाएं घटी जिनकी वजह से उन्होंने अहिंसा को अपनाया, लेकिन उनके जीवन और विचारों में सबसे पहले परिवर्तन लाने वाली घटना इस प्रकार है।
कि उन्होंने सन् 1899 में दक्षिण अफ्रीका में हुए एंगलो बोअर युद्ध में स्वास्थ्य कर्मी बनकर लोगों की मदद की, लेकिन बाद में उन्होंने युद्ध के भयानक परिणाम देखें तो इस घटना ने उनके मन में अत्यधिक करुणा जगा दी और वे अहिंसा और मानव सेवा के रास्ते पर चल दिए।
महात्मा गांधी जी के राजनीतिक जीवन की शरूआत
जब वे वकालत की पढ़ाई कर रहे थे तो उस समय उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा था। वहां पर वे रंगभेद के शिकार हुए और उनके साथ अपमानजनक व्यवहार हुआ। वहां पर भारतीय और दूसरे काले रंग के लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता था।
उन्हें ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठने पर ट्रेन से धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया जबकि उनके पास प्रथम श्रेणी की टिकट थी। इसके अलावा वहां के कुछ होटलों में भी उन्हें नहीं जाने दिया गया।
इसके पश्चात गांधी जी ने रंगभेद को खत्म करने के लिए बहुत संघर्ष किया और राजनीति में जाने का निर्णय लिया, जिससे वे भारतवासियों के साथ होने वाले अन्याय को खत्म कर पाएं।
महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन
गांधी जी ने अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए अंग्रेज़ो के खिलाफ कई आंदोलन किए, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को कमज़ोर बना दिया। उन्होंने भारतीयों को स्वतंत्रता दिलाने के लिए भी कई आंदोलन किए।
चंपारण आंदोलन
यह गांधी जी का पहला अंग्रेजो के विरूद्ध किया गया आंदोलन था। उस समय में अंग्रेज भारतीय किसानों को खाद्य फसल कम करके नील उगाने के लिए मजबूर कर रहे थे और उन्हें उसके लिए पूरी कीमत भी नहीं दे रहे थे।
किसान उनकी मनमानी से बहुत परेशान थे। तब सन् 1917 में उन्होंने इस चंपारण गांव में आंदोलन शुरू कर दिया। जिसके परिणास्वरूप अंग्रेजों को गांधी जी के आगे घुटने टेकने पड़े और उन्होंने किसानों की 25 फीसदी धनराशि वापस कर दी।
यह आंदोलन चंपारण आंदोलन के नाम से विख्यात हुआ और इसकी कामयाबी से उनमें आत्मविश्वास दृढ़ हुआ।
खेड़ा आंदोलन
ये आंदोलन गांधी जी ने किसानों के लिए किया था। गुजरात के खेड़ा नाम के गांव में सन् 1918 में अत्यधिक बाढ़ आई। जिसके वजह से गांव के किसानों की फसल तबाह हो गई और साथ ही उस गांव में अकाल भी पड़ा।
इतना सब होने के बाद भी अंग्रेजो के अफसर किसानों से कर लेना चाहते थे। किसानों के पास देने के लिए कुछ नहीं था तो वे कर कहां से देते। गांधी जी ने अंग्रेज़ो के इस व्यवहार के विरूद्ध आंदोलन की शुरूआत कर दी, जिसमें सभी किसान उनके साथ थे।
इसे आंदोलन को खेड़ा आंदोलन के नाम से जाना जाता है, इस आंदोलन के फल स्वरूप बाद में अंग्रेज़ो ने उनका कर माफ़ कर दिया।
असहयोग आंदोलन
अंग्रेज भारतीयों के साथ बहुत क्रूर और निर्दयतापूर्ण व्यवहार करते थे। उनके अत्याचार दिन ब दिन बढ़ते ही जा रहे थे।जलियांवाला बाग हत्याकांड में कई बेकसूर मारे गए जिससे गांधी जी को बहुत दुख हुआ और उन्होंने ठान लिया कि अब अंग्रेजो को भारत से बाहर निकालना ही होगा।
इसके बाद उन्होंने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की और सभी भारतीयों से कहा कि अब उन्हें अंग्रेजो के खिलाफ कमर कस लेनी है। उन्हें अंग्रेजो का बिल्कुल समर्थन नहीं करना है।
भारतीयों ने इस आंदोलन के तहत अपने सरकारी पदों को छोड़ दिया और सरकारी विद्यालय, कॉलेज और बहुत सारी जगहों पर अहिंसापूर्वक विरोध प्रदर्शन किया। भारत में स्वदेशी वस्तुओं को अपनाया गया और विदेशी वस्तुओं का उपयोग बन्द कर दिया गया।
इस आंदोलन के दौरान लोगों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई और खादी कपड़ों का उपयोग करना चालू कर दिया। खादी वस्त्र का उत्पादन भी बड़ी मात्रा में हुआ था। ये आंदोलन बहुत बड़े रूप में किया गया जिसके परिणाम में चोरी और लूटपाट के कांड होने लगे और लोग हिंसा करने लगे।
फिर गांधी जी ने इसे वापस ले लिया, ये आंदोलन करने के कारण अंग्रेजो ने उन्हें 6 वर्ष तक कारावास की सजा दी थी।
डांडी यात्रा/नमक सत्याग्रह
गांधी जी ने ये आंदोलन अंग्रेजो के नमक पर कर बढ़ाने के कानून के खिलाफ चलाया था। साधारण व्यक्ति इस कानून से बहुत दुखित थे इसलिए 12 मार्च 1930 को गांधी जी ने अहमदाबाद शहर के साबरमती आश्रम में से ये आंदोलन शुरू किया।
इसके अन्तर्गत उन्होंने नमक पर अत्यधिक कर लगाने के खिलाफ दांडी यात्रा शुरू की। इस आंदोलन में उनके साथ बहुत सारे लोगों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया और लोगो ने खुद ही नमक का उत्पादन और वितरण शुरू कर दिया।
ये आंदोलन विदेशो में भी प्रसिद्ध हुआ, इसे दांडी यात्रा भी कहा जाता है। इस अहिंसा से किये गये आंदोलन को पूरी तरह से सफलता मिली। फिर 6 अप्रैल 1930 को गुजरात स्थित दांडी नाम के गांव में ये आंदोलन समाप्त हुआ। इस आंदोलन ने अंग्रेज़ो को परेशान कर दिया और उन्होंने 80,000 आंदोलनकारी लोगों को जेल की सजा दी।
भारत छोड़ो आंदोलन
भारत को अंग्रेजो की गुलामी से मुक्त करवाने के लिए महात्मा गांधी जी ने इस आंदोलन की शुरुआत की। जब दूसरा विश्वयुद्ध चल रहा था तब अंग्रेजी सरकार अन्य देशों के साथ युद्ध करने में व्यस्त थी।
अंग्रेजो ने भारतीयों को भी इस युद्ध में शामिल होने को कहा पर उन्होंने मना कर दिया। फिर अंग्रेज़ो ने वादा किया कि इस युद्ध में अगर भारतीय उनका साथ देंगे तो वे भारत को आजाद कर देंगे।
इस आंदोलन को सभी भारतवासियों ने एकजुट होकर सफल बनाया। इसके फलस्वरूप सन् 1947 में भारत गुलामी की जंजीरों से आजाद हुआ।
गांधी जी के कुछ जीवन सिद्धांत
गांधी जी हमेशा सत्य और अहिंसा का पालन करते थे और उनका जीवन सादगी वाला था। वे शुद्ध शाकाहारी थे। महात्मा गांधी जी स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग पर बल देते थे और खादी के वस्त्र पहनते थे। गांधी जी ने तीन बातें कहीं जो प्रसिद्ध हैं “ बुरा मत बोलो” ,” बुरा मत सुनो” और “ बुरा मत देखो”।
उपसंहार
गांधी जी ने सदा ही मानवता की सहायता की और अहिंसा का मार्ग अपनाया। उन्होंने जातिवाद से प्रताड़ित लोगों को हरिजन कहा और उन्हें अपना हक दिलवाया। वे महात्मा बुद्ध के जीवन और विचारों से प्रभावित हुए और उन्हीं की तरह सभी की सेवा की।
आजादी के बाद हमारा देश दो भागों भारत और पाकिस्तान में बंट गया, जो गांधी जी को अच्छा नहीं लगा और वे दुखी हुए। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे नाम के व्यक्ति ने गांधी जी को गोली मारकर हत्या कर दी।
उनके विचार और उनका जीवन संघर्ष हम सब के लिए आदर्श है। आज की युवा पीढ़ी को उनके मार्गदर्शन की आवश्यकता है।
इन्हे भी पढ़े :-
- राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay In Hindi)
- पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध (Pandit Jawaharlal Nehru Essay In Hindi)
- सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध (Sardar Vallabhbhai Patel Essay In Hindi)
तो यह था महात्मा गांधी पर निबंध, आशा करता हूं कि महात्मा गांधी पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Mahatma Gandhi) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।